[8/19, 5:27 PM] सुखदेव सिंह अहिलेश्वर: दुर्मिल सवैय्या

अँगना परछी घर द्वार सहीं,नित अंतस निर्मल होवत हे।
पर के धन जाँगर देखत मा,मन मा इरसा नइ होवत हे।
दुख मा जब नैन निगाह परे,दुखिया बन अंतस रोवत हे
मनखे तन मा तब जान सखा,जिनगी सत काज सिधोवत हे।

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"

🙏🏻सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
[8/19, 5:28 PM] सुखदेव सिंह अहिलेश्वर: दुर्मिल सवैय्या

मँय जानत हौ लबरा मनखे,बिन कारन झूठ सुनात रथे।
ठलहा रहिथे ठलहा फिरथे,ठलहा मउका ल भुनात रथे।
घर मा नइहे कुछु काम बुता,तइसे मुँह गोठ फुनात हे।
सच ला धरके अगुवाय नही,मन मा चुगली उफनात रथे।

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर "अँजोर"
     19/08/2017

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